श ष और स के उच्चारण में क्या अंतर है | sh in hindi | hindi sh

sh in hindi: श हिंदी वर्णमाला में व्यंजन का तीसवाँ वर्ण है। इसका उच्चारण प्रधानतया तालु का सहायता से होता है, इससे इसे तलव्य श कहते है । यह महाप्राण है और इसक उच्चारण में एक प्रकार का धषण होता है; इसलिय इस ऊष्म व्यंजन भी कहते हैँ।

hindi sh: “श” देवनागरी वर्णमाला में ऊष्म वर्णों के वर्ग का पहला व्यंजन है। “श” व्यंजन का उच्चारण तालव्य, अघोष, संघर्षी, और ईषद्विवृत है, जैसा कि भाषाविज्ञान के क्षेत्र में प्रयुक्त होता है।

तालव्य (स्पर्श वर्ण): “श” व्यंजन का उच्चारण दांतों के स्पर्श के साथ होता है, जिसमें दांतों के संरेखित स्थान पर वायु ध्वनि को रोकता है।

अघोष (बिन स्वर): “श” व्यंजन का उच्चारण किसी स्वर के साथ नहीं होता है, इसलिए यह अघोष है।

संघर्षी (अग्र कोणीय): “श” का उच्चारण एक आवाज़ की आपसी संघर्ष के साथ होता है, जिसमें दांतों के विच्छेद करने वाली आवाज़ उत्पन्न होती है।

ईषद्विवृत (एकाधिक स्वरों का एक साथ उच्चारण): “श” व्यंजन का उच्चारण एकाधिक स्वरों का एक साथ नहीं होता है, इसलिए यह ईषद्विवृत है।

sh in hindi

इस तरीके से “श” एक विशेष प्रकार का व्यंजन है जिसका वाद्य ध्वनि में महत्वपूर्ण स्थान है और इसके विशेष ध्वनि गुण भाषाविज्ञान में बड़े महत्वपूर्ण होते हैं।

श ष और स में क्या अंतर है | sh in hindi

“श,” “ष,” और “स” इन तीनों वर्णों का संस्कृत और हिंदी भाषा में महत्वपूर्ण स्थान है, और इनके उच्चारण में छोटे-छोटे अंतर होते हैं।

1. “श” का उच्चारण:

“श” एक ध्वनि है जिसे हम जीव ध्वनि (voiced retroflex fricative) के रूप में जानते हैं। इस ध्वनि को उच्चारण करते समय, आपकी जीभ आपके मुख के पिछले हिस्से के साथ संपर्क करती है, और ध्वनि को निकालने के लिए आपकी वायुमंडल में हलका दबाव बनता है। “श” का उच्चारण होते समय ध्वनि को बढ़ाकर निकालना चाहिए। उदाहरण के लिए, “शरद” शब्द का “श” को ध्वनि के साथ उच्चारित किया जाता है।

2. “ष” का उच्चारण:

“ष” भी एक ध्वनि है और इसका उच्चारण भी ध्वनि के साथ होता है। यह भी जीव ध्वनि के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह ध्वनि को थोड़ी ज्यादा मजबूती से बोला जाता है। “ष” के उच्चारण के लिए आपकी जीभ को आपके मुख के पिछले हिस्से के साथ आवश्यक संपर्क करना होता है, और आपको ध्वनि को बढ़ाकर निकालना होता है। उदाहरण के लिए, “षड्यंत्र” शब्द का “ष” को ध्वनि के साथ उच्चारित किया जाता है।

3. “स” का उच्चारण:

“स” एक ध्वनि है जिसे हम अनुस्वार ध्वनि के रूप में जानते हैं। इस ध्वनि को उच्चारण करते समय, आपकी जीभ को मुख के साथ संपर्क नहीं कराना होता है, और ध्वनि को आसानी से निकालना होता है। “स” का उच्चारण बड़े आसानी से होता है और यह अन्य दो ध्वनियों के उच्चारण से थोड़ा अलग होता है। उदाहरण के लिए, “समय” शब्द का “स” को आसानी से उच्चारित किया जाता है।

इन तीनों वर्णों का सही उच्चारण सीखने के लिए, आपको ध्यान से इनके उच्चारण का अभ्यास करना चाहिए और मात्रा और ध्वनि की मदद से इन्हें सही ढंग से उच्चरित करने का प्रयास करना चाहिए।

यह व्यंजनों के विचार से सही है कि “श” का उच्चारण जीभ के तालू के स्पर्श के साथ होता है, “ष” का उच्चारण जीभ के मूर्धा के स्पर्श के साथ होता है, और “स” का उच्चारण जीभ के दांतों के स्पर्श के साथ होता है। इसके अलावा, इन व्यंजनों के उच्चारण में व्यक्तिगत विभिन्नताएं होती हैं, जो उनके ध्वनि गुण को अद्वितीय बनाती हैं।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यह ध्वनि गुण देवनागरी वर्णमाला में व्यंजनों के उच्चारण को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण हैं और भाषाविज्ञान के क्षेत्र में इनका महत्व बहुत बड़ा होता है।

हिन्दी में ‘श’, ‘ष’ और ‘स’ के उच्चारण में क्या अंतर है? | hindi sh

हिन्दी में ‘श’ (श-वर्ग), ‘ष’ (ष-वर्ग), और ‘स’ (स-वर्ग) के उच्चारण में आवाजशास्त्र के दृष्टि से विशेष अंतर होता है:

1. श (श-वर्ग):

  •    ‘श’ को जीव शब्द के रूप में व्यक्त किया जाता है.
  •    इसका उच्चारण ध्वनि के साथ होता है।
  •    जीभ को मुख के पिछले हिस्से (दांतों के पीछे) के साथ आकर्षित किया जाता है।
  •    उच्चारण में जीभ का संपर्क और ध्वनि को बढ़ाकर निकालना होता है, जैसे कि ‘शर्म’ या ‘शिक्षक’ में होता है।

2. ष (ष-वर्ग):

  •   ‘ष’ को षड्यंत्र और षष्ठी जैसे शब्दों के रूप में उपयोग किया जाता है।
  •   इसका उच्चारण भी ध्वनि के साथ होता है, लेकिन यह ध्वनि को थोड़ा मजबूती से बोला जाता है।
  •   जीभ को मुख के पिछले हिस्से के साथ आकर्षित किया जाता है, लेकिन उच्चारण में ध्वनि को बढ़ाकर निकालना थोड़ा मजबूत होता है, जैसे कि ‘षड्यंत्र’ में होता है।

3. स (स-वर्ग):

  •   ‘स’ को हिंदी और संस्कृत की अधिकांश शब्दों के रूप में उपयोग किया जाता है।
  •   इसका उच्चारण आसान होता है, और यह ध्वनि को बढ़ाकर निकालने की आवश्यकता नहीं होती है।
  •   जीभ को मुख के साथ संपर्क नहीं किया जाता है, जैसे कि ‘समय’ में होता है।

इन उच्चारणों का सही ढंग से अभ्यास करने से, आप इन वर्णों को सही ढंग से उच्चरित कर सकते हैं और भाषा के सही उपयोग में मदद कर सकते हैं।

श ष स से सम्बंधित प्रश्न [FAQ]

श ष स को हिंदी में क्या कहते हैं?

“श,” “ष,” और “स” को हिंदी में वर्ण (consonants) कहा जाता है। ये वर्ण हिंदी और संस्कृत भाषा में प्रयुक्त होते हैं और विभिन्न शब्दों के रूप में आमतौर पर उपयोग होते हैं। इन तीनों वर्णों के अलग-अलग उच्चारण होते हैं, जैसे कि मैंने ऊपर बताया है।

श ष स का प्रयोग कैसे करें?

इन वर्णों का सही उच्चारण करने के लिए आपको ध्यान देना चाहिए कि “श” को ध्वनि के साथ बोलना होता है, “ष” को ध्वनि के साथ और मजबूती से बोलना होता है, और “स” को आसानी से बोलना होता है जिसमें ध्वनि का संपर्क नहीं होता है। यदि आप इन वर्णों के सही उच्चारण का अभ्यास करना चाहते हैं, तो आप व्यक्ति या आवाज के माध्यम से सुनकर और बोलकर सीख सकते हैं।

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